नियमित रूप से प्रयासरत व कुछ नया करने की दृढ इच्छा-शक्ति के साथ हिलकोरा कम्पनी लेकर आयी है-
एपल बेर (किस्म- थाईRजे) प्लान्ट, जो निम्न विशेषताओं से युक्त है-
एपल बेर हाइब्रिड फलों का पौधा है
हाई लैब टेक्नीक जैनेटिक बायो प्लान्ट सिस्टम द्वारा तैयार
उच्च व्यावसायिक बाजार मूल्य वाला
पूर्णतः जैविक विधि पर आधारित
* विटामिन:-
विटामिन सी, कैल्सियम, खनिज लवण और फॉस्फोरस जैसे तत्वों से फल भरा होने के कारण मानव के लिए बेहद लाभदायक।
* तुलना:-
सेव में जितने न्यूट्रीशंस और एंटिऑक्सीडेंट होते हैं लगभग उतने ही गुणकारी तत्व बेर में मौजूद हैं। इसे गरीब का सेव कहा जाता है।
हाईब्रिड किस्म(थाईजे):-
बुवाई के बाद पौधा फटाटफ वृद्धि करता है तथा 6 महीनों में फल लगने शुरू हो जाते हैं।
परन्तु पौधा छोटा होने के कारण यह फसल नहीं लेनी चाहिए।
एक पेड़ पर पहले साल 20 से 25 किलो उत्पादन
एक साल के बाद एक पेड़ 50 से 100 किलो फल देता है।
एक फल 50 से 125 ग्राम का
ये बेर खाने में सेब जैसे लगते हैं। तथा दिखने में भी सेब जैसे होते हैं।
इसमें कॉंटे नहीं लगते
फल बड़े लगते हैं इसलिए तुड़ाई आसान व सस्ती
यह पौधा लगभग 50 साल तक आमदनी देता है अर्थात् यह लम्बी उम्र वाला पौधा है।
इसके फलों की कीमत परम्परागत बेर से ज्यादा मिलती है।
मार्च व अक्टुबर में दो बार फूल लगते हैं। आप चाहें तो एक साल में दो बार फसल ले सकते हैं
यह पौधे की देखरेख पर निर्भर है
पौधरोपण तथा देखरेख:-
* जलवायु- |
0 से 50 डिग्री तक उच्च सहनशील पौधा। |
* पानी- |
खारे पानी में भी सम्भव। यहॉ तक कि समुद्र जितने खारे पानी में भी हो सकता है |
* आवश्यकता- |
पानी, सुरक्षा तथा रोग निवारण |
* भूमि- |
120 प्रकार की मिट्टियों में हो सकता है। |
* विशेष- |
यदि दीमक का प्रकोप ज्यादा हो तो ही दीमक रोधी दवाई का प्रयोग करें अन्यथा नहीं। |
* फलोत्पादन- |
लगभग एक साल में बड़ा होकर फल देने लगता है। |
* ऊंचाई- |
लगभग 7 से 15 फीट तक |
* छंटाई- |
फल लेने के बाद पौधे को लगभग तीन फीट ऊंचाई से प्रत्येक साल काटा जाता है। |
* पत्तियां- |
पत्तियां उपजाउ होने के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति में बढोतरी होती है |
* पानी मात्रा- |
पौधे की रोपाई के समय शुरूआत में 2 से 3 दिनों के अन्तराल से दिया जाता है तथा
इसके तीन महीने बाद सात दिनों में एक बार लगभग 7 लीटर देना चाहिए। |
* दूरी- |
पौधे से पौधे की दूरी चारों तरफ से 15 फीट तक रखनी चाहिए। एक सरकारी बीघा में 80 पौधे |
* लकड़ी- |
एक पेड़ से लगभग 15 से 20 किलो तक सूखी लकड़ी मिल जाती है। |
* मिश्र फसल- |
बेर के पौधों की कतारों के बीच मटर, मिर्च, बैंगन, और बारानी क्षेत्र में मोंठ और मूंग की खेती लाभदायक होती है। |
विशेषताएं:
जीवाणु मुक्त व रोगाणु मुक्त किस्म (Anti-Disease Variety)
अच्छी विकास दर
रेशेदार जड़ प्रणाली / मजबूत जड़तन्त्र
भारत में जलवायु परिस्थितियां उपयुक्त
100% वातावरण के अनुकूल
सूखा प्रतिरोधी
बहूपयोगी:
थाई एपल बेर बहूपयोगी झाड़ीनूमा वृक्ष है
इसकी पत्तियां, लकड़ी, जड़ें व फल सभी उपयोगी है
इसकी पत्तियों का उपयोग प्रोटीन युक्त चारे के तौर पर होता है।
जो बकरी आदि पशुओं को खिलाने में उपयोगी है
लकड़ियां ईंधन का काम करती है
जड़ें भूमि को अधिक उपजाऊ बनाती है
इसके बड़े फल व्यावसायिक उत्पादन देते हैं
गड्ढा:
2 फीट चौड़ा, 2 फीट लम्बा, 2 फीट गहरा गड्ढा खोदकर छोड़ दें तथा 20 दिनों बाद इसमें
सड़ी हुई गोबर की खाद, नीम व आकड़े की पत्तियां आधा किलों तथा
बुहाड़े की पत्तियां 1 किलो तथा भूमि की ऊपरी मिट्टी डालकर गड्ढा भर दें।
गडढे को 6 इंच खाली रखें।
जड़ वर्द्धक खाद हेतु हिलकोरा कम्पनी से सम्पर्क करें
पौधमिश्रण खाद- जैविक विधि से गड्ढा तैयार करने हेतु हिलकोरा कम्पनी से सम्पर्क करें
दूरी- पौधे से पौधे की दूरी निम्नानुसार रखें-
- 15*15 फीट - केवल हाईब्रिड एपल बेर की खेती हेतु
- 20*20 फीट - मिश्रित खेती हेतु
- 13*13 फीट - हाईब्रिड एपल बेर पौध की दूरी केवल मेड़ों पर
आमदनी:
फायदा एक नजर में- एक पौधा 100 किलो उत्पाद X 50 रूपये के भाव से बेचा X कुल 1000 पौधों पर आमदनी =
50 लाख रूपये सालाना। (यह पौधे की देखरेख पर निर्भर है) |
हिलकोरा कम्पनी (Hilkora Company)
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